धूप
चुपके से दाखिल होती है धूप
खिरकी के रास्ते आती है धूप ,
नींद की चादर कुतर जाती है धूप
बाल खोले जब आती है धूप ,
तितलियों पर सवार आती है धूप
दरख्तों के बीच खेलती है धूप ,
पत्तियों से बाते करती है धूप
यादों को सुखाती है धूप ,
कभी सपनो में कुलबुलाती है धूप
कभी सपनो को सहलाती है धूप ,
जब से रूठ गए हो तुम
उदास सी है धूप ,
कभी आ भी जावो चुपके से
माथे पर धूप की बिंदी लगाकर
चुपके से दाखिल होती है जैसे धूप .
चुपके से दाखिल होती है धूप
खिरकी के रास्ते आती है धूप ,
नींद की चादर कुतर जाती है धूप
बाल खोले जब आती है धूप ,
तितलियों पर सवार आती है धूप
दरख्तों के बीच खेलती है धूप ,
पत्तियों से बाते करती है धूप
यादों को सुखाती है धूप ,
कभी सपनो में कुलबुलाती है धूप
कभी सपनो को सहलाती है धूप ,
जब से रूठ गए हो तुम
उदास सी है धूप ,
कभी आ भी जावो चुपके से
माथे पर धूप की बिंदी लगाकर
चुपके से दाखिल होती है जैसे धूप .
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