बंदिश
आने दो मुझे जरा बंदिशों से बाहर
बात करने को जी चाहता है .
कभी खयालो से नहीं हुआ जो बाहर
आज पाने को जी चाहता है .
जो कभी न हो सका खयालो से दूर
आज उसे गुनगुनाने को जी चाहता है .
जो कभी न हो सका मुझसे बाहर
उसे ही पाने को जी चाहता है .
आने दो मुझे जरा बंदिशों से बाहर
बात करने को जी चाहता है .
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