Thursday, February 9, 2012

                                दोस्ती का अर्थशात्र


एक खूबसूरत लब्ज़ 
दोस्ती

कभी ,

सागर से गहरी यह 
दोस्ती

कभी ,

ज्वार-भाटे सी उनफ़ती यह
दोस्ती

कभी,

बंद कुएं सी
खुद में सिमटी यह 
दोस्ती 

कभी,

सूरज की पहली किरण  सी
खिलती यह 
दोस्ती

कभी,

शाम दूर क्षितिज पर घुलती 
यह 
दोस्ती

कभी,

हर रात ओस सी पिघलती 
यह 
दोस्ती . 

No comments:

Post a Comment