एक प्याली चाय
कभी - कभी मुझे लगता है की जिन्दगी
एक चाय की प्याली है.
रोज सवेरे सूरज की अंगीठी पर
गर्म होती है .
हर शाम सितारों की ठंडक से
मर जाती है .
कभी - कभी भाप बनकर बिखरती है
जिन्दगी
जिन्दगी और चाय क्या पूरक है ,
क्या जिन्दगी भी चाय की तरह पी
जा सकती है ,
शायद ,
तभी रोज सवेरे गर्म होती है,
यह जिन्दगी की
प्याली .
कभी - कभी मुझे लगता है की जिन्दगी
एक चाय की प्याली है.
रोज सवेरे सूरज की अंगीठी पर
गर्म होती है .
हर शाम सितारों की ठंडक से
मर जाती है .
कभी - कभी भाप बनकर बिखरती है
जिन्दगी
जिन्दगी और चाय क्या पूरक है ,
क्या जिन्दगी भी चाय की तरह पी
जा सकती है ,
शायद ,
तभी रोज सवेरे गर्म होती है,
यह जिन्दगी की
प्याली .
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